●तीन हजार बीएड अभ्यर्थी जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य करार दिया। जिन्हें छ. ग. सरकार बर्खास्त कर चुकी है। इन अभ्यर्थियों के अन्य विकल्प हेतु साय सरकार ने तत्काल मुख्य सचिव के अध्यक्षता में कमिटी का गठन कर सहानभूति,सवेदनशीलता और सुशासन का उदाहरण प्रस्तुत किया है। श्रम दर बिना नियुक्ति पत्र वालो का स्थाईकरण कर म. प्र. के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 2016 में ऐसी सवेदनशीलता दिखलाई थी।
साय सरकार के बारीक कमिटी के अधिकारी प्रदेश के 21 अलग अलग प्रकार के, वर्षो से कार्यरत, अलग प्रकार के कार्य अलग अलग विभागों में करने वाले लाखों अनियमित कर्मचारियो को लेकर बेहद उदासीन है। प्रधानमंत्री मोदी जी के नाम से बने घोषणा पत्र “मोदी गारेंटी” 28 नम्बर पृष्ठ में लिखित, छाप कर कमिटी में सदस्य बना कर इनकी समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया जा चुका एक वर्ष व्यतीत हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट की बाधा के चलते ही ( ऊमादेवी प्रकण 2006 ) हजारों बैक डोर एंट्री आज तक नियमित नहीं हुए है। अन्य निर्णयों में सुप्रीम कोर्ट की बाधा के चलते आउट सोर्सिंग, ठेका, प्लेसमेन्ट, सविंदा, अंशकालीन, जॉब दर, मानदेय प्रदेश में कोई नियमित नही हुए है। ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार जैसे बीएड अभ्यर्थियों के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विपरीत जा कर समाधान ढूढने तत्परता से कमिटी बनाई है। उसी तर्ज में लाखों अनियमित कर्मचारियो के लिए बारीक कमिटी में जल्द से जल्द सदस्य बनाने हेतु निर्देशित करना चाहिये।
इन 3 हजार बीएड अभ्यर्थियों के भांति लाखो अनियमित कर्मचारी भी छत्तीसगढ़ प्रदेश के मूल निवासी है। सामान्य, पिछडा, एसटी, एससी, अल्पसंख्यक वर्ग से आते है। बकायदा ओपी चौधरी मंत्री और सांसद विजय बघेल ने विडीयो जारी कर लाखो अनियमित कर्मचारियो को कमिटी में सदस्य बनाने अन्य राज्यों के तर्ज पर स्थाईकरण करने का आश्वासन दिया है।